पंजाब में संगरूर के एक पब्लिक स्कूल की वैन में पैट्रोल रिसने से लगी आग में चार बच्चों की दर्दनाक मौत बच्चों के जीवन से खिलवाड़ की पराकाष्ठा को दर्शाती है। विडंबना देखिये कि कबाड़ी से खरीदी गई बीस साल पुरानी वैन में बच्चों को लाया-ले जाया जा रहा था। न ही स्कूल प्रबंधन ने अपनी जिम्मेदारी का अहसास किया और ही उन ट्रांसपोर्ट ?अधिकारियों ने जिन्होंने वाहन की पूरी जांच के बगैर उसे सड़क पर चलने की अनुमति दी। इस आपराधिक लापरवाही से चार मासूम आग में जिंदा जल गये। यदि समय रहते राहगीर बच्चों को बचाने न कदते तो यह आंकडा बडा भी हो सकता था। मरने वाले बच्चों का दुर्भाग्य था कि धुएं के कारण ?उन्हें बचाया नहीं जा सकामतक बच्चों के बिलखते परिजनों के हृदयविदारक विलाप से उनको जीवनभर न खत्म होने वाली पीड़ा का अहसास किया जा सकता है। ऐसे हादसों में सरकार तो महज मुआवजे की घोषणा तथा आगे से ऐसे वाहनों की जांच को कमेटी बनाकर खामोश हो जाती है, किसी दूसरे हादसे के इंतजार तक। आखिर आये दिन होने वाले हादसों में बच्चों के बेमौत मरने की जवाबदेही लेने को कोई संवेदनशील तंत्र क्यों नहीं बनता। वाहनों में क्षमता स आधक बच्च भरन, कभा अनाड़ी वैन चालक द्वारा दुर्घटना तो कभी कान में एयरफोन लगाये चालक की लापरवाही से रेलवे क्रॉसिंग में बच्चों का ट्रेन से मरना, ऐसी खबरें आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। फिर मुआवजे और जांच की घोषणा के साथ सरकार और अभिभावक भी खामोश हो जाते हैं। निसंदेह य?ह हादसा नहीं, सरेआम हत्या है। लोग चंद पैसों के लालच में कबाड़ हुई वैन को खरीदकर नौनिहालों के जीवन से खेलने लगते हैं। हादसे का दुखद पहलू यह है कि कबाड़ी से खरीदी गई दो दशक पुरानी वैन की खिड़कियां भी जाम थीं, जिसके चलते समय रहते बच्चों को निकाला नहीं जा सका।अक्सर इन हादसों में बच्चों के मरने की खबर तो आती है, मगर यह कभी नहीं सुना कि फलां प्रबंधक, वाहन चालक या उस इलाके के जिम्मेदार परिवहन अधिकारी को सजा हुई, जिसने वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया। दुर्घटनाग्रस्त वैन में आठ बच्चों के बैठने की जगह थी, उसमें बारह बच्चे लूंस-ठूस भरे हुए थेसड़क सुरक्षा से जुड़े जो बाइस नियम बताये जाते हैं उनमें से किसी का " स रमा सगुई जा बाइस नियम बताय जात ह उनम स किसी का भी पालन इस वैन के बाबत नहीं किया गया। शिक्षा विभाग को भी चाहिए कि स्कूल के संचालकों की जवाबदेही तय करे कि बच्चों को लाने-ले जाने वाले वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट समय-समय पर चेक करायें। चालक-परिचालकों की पड़ताल हो कि वे वाहन चलाने की योग्यता रखते हैं कि नहीं। संगरूर वाली दुर्घटना में एक ट्रैक्टर चालक ने वैन में आग लगने का संकेत देकर वैन चालक को रुकने को कहा। लेकिन चालक के समझ में नहीं आया। जब दूसरी बार कहने पर उसने वैन रोकी तो तब तक वैन में धमाका हो गया। क्या अनाड़ी चालक-परिचालक वैन चला रहे थे कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी वैन में आग लग चुकी है? ऐसे अनाड़ी चालकों को आपराधिक लापरवाही से मासूमों की जान लेने के लिये सख्त सजा दी जानी चाहिए। यह भी जांच होनी चाहिए कि वे नशे के आदी तो नहीं थे। संगरूर की इस घटना के बाद नश क आदा ता नहा था सगरूर का इस घटना के बाद कथित पब्लिक स्कूल के प्रबंधक व प्रिंसिपल, ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया। शासन-प्रशासन की कोशिश हो इन्हें इतनी सख्त सजा मिले कि वह नजीर बने, ताकि भविष्य में बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ की कोई कोशिश न कर सके। परंपरा के अनुसार पंजाब सरकार ने मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजा, घटना की मजिस्ट्रेटी जांच तथा ट्रांसपोर्ट विभाग को सभी स्कूल बसों की जांच के निर्देश?दिये हैं। बहरहाल, अभिभावकों को भी चौकन्ना रहकर सचेतक की भूमिका निभानी चाहिए। तभी ऐसे हादसे रुक सकेंगे
सरकार के साथ अभिभावक भी चेतें